ओपन हार्ट
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आने दो सावन
सावन मनभावन
मन की प्रीत उठे
बदरा बन बरसे
झूम- झूम
संगीत रिमझिमी
बूंदों का
उल्लास नया परिवेश
घटा घन घोर
चमक चहुँ ओर
सुलगता यौवन
चित की चाह लिए
बूंदों से सुरभित
गीत पनपते
तन मन में
कोयल की कू कू
षाडव से पंचम तक
गूँज उठे वन में
पुरवाई रह रह
याद करे मन मीत
कहाँ हो जाय बसे
विरहिन की सुध बुध
भूल गयी नाचे उमड़े
भीतर बाहर
थामे अपना ही दामन ……….
तो फिर ….
आने दो सावन
सावन मनभावन…….
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