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युवाओं के चुनाव में युवाओं की बागडोर एक तिरसठ वर्षीय युवा नेता के हाथ में है ,किन्तु यह आश्चर्य की बात नहीं है इससे पहले भी नारायण मूर्ती,अब्दुल आज़ाद जैसे उम्र दराज लोग युवाओं का प्रतिनिधित्व करते रहे है. देश का लगभग पचास प्रतिशत मतदाता अठारह से पैतीस के बीच का है, और उसमे भी पंद्रह करोड़ मतदाता पहली बार मतदान करने जा रहा है.राहुल गांधी और अखिलेश यादव जैसे युवा नेता भी युव शक्ति के साथ बेहतर संवाद स्थापित करने में असफल रहे है जबकि नरेंद्र मोदी के सुरों पर युवाओं को थिरकते देखा गयाहै।
बेरोजगारी और मूलभूत समस्याओं से जूझ रहा युवा, सोशल मीडिया के माध्यम से अपने देश और विकास को लेकर पहले से अधिक सतर्क और दृढ़ संकल्पित है.सोशल मीडिया जिसका सबसे अधिक उपयोग देश के युवा कर रहे है उनमे जिन मुद्दो को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी गयी है उसमे भ्रष्टाचार प्रथम स्थान पर है और उसके बाद विकास का मुद्दा है.
अधिकांश युवक जिस मुद्दे पर एक सहमति बनाते दिखाई दे रहे है वो है बेहतर रोजगार के सामान अवसर।भारत जैसे विकासशील देश में बड़ी संख्या में बेरोजगार युवक है और ऐसे युवको का समूह नरेंद्र मोदी में अपना भविष्य देख रहा है.
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