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आज के चुनावी माहौल में केवल दो ही मुद्दे है या तो मोदी के पक्ष में वोट या मोदी के विपक्ष में वोट,बाकी सभी मुद्दे चाहे वो भृष्टाचार से जुड़ा हो या देश के विकास का पीछे दिखाई पड़ता है.यक्ष प्रश्न ये है कि आखिर ऐसे में मुस्लिम वोट किस पक्ष का है और क्यों?ऊपर से देखने पर यह प्रश्न बड़ा सीधा और साफ़ दिखाई पड़ता है पर है नहीं.आइये इस मुद्दे के लिए नरेंद्र मोदी जी के व्यक्तित्व पर एक दृष्टि डालते है.
मोदी जी संघ जे जुड़े एक सक्रिय कार्यकर्ता है सीधी बात करते है.अपने कुशल प्रशासन और विकासात्मक दृष्टिकोण के कारण लगभग बारह वर्षों से गुजरात के मुख्यमंत्री है.पहली बार गुजरात दंगे में उनकी बहुत अधिक आलोचना की गयी और तब से ये मुद्दा चाहने पर भी उनका साथ नही छोड़ रहा है.दूसरी तरफ गुजरात के विकास भी उन्ही के कार्यकाल में हुआ.मोदी विरोधी राजनैतिक दल मोदी के विरोध में मुस्लिम वोट जुटाने में लगे है.भले ही मुस्लिम वोट इस मुद्दे को नजरअंदाज करना चाहे पर ये राजनैतिक संगठन इस अलख को जगाये रखना चाहते है.
किसी भी राष्ट्र में जब तक दो प्रमुख समुदाय एक दुसरे से लड़ाये जायेंगे कैसे वहां विकास का बीज पनप पायेगा?सभी राजनैतिक दल चाहते है कि मुस्लिम वोट जब तक अपने को असुरक्षित महसूस करेगा तब तक वो एक वोट बैंक बना रहेगा.क्या हम कुटिल राजनीतिज्ञों के इन विचार धाराओं में बह जाना चाहेंगे या जातपात भेद भाव को भूल कर एक भारतीय कि तरह सोचेंगे?.राष्ट्र के विकास में,स्वतंत्रता में मुस्लिम भाइयों का उतना ही योगदान है जितना हिन्दू भाइयों का.
हमें इस बड़े चुनाव में व्यर्थ के सभी मुद्दों को छोड़कर भ्रष्टाचार,विकास,नारी सुरक्षा,रोजगार जैसे मुद्दों के पक्ष में एक मत से खड़ा होना पड़ेगा.इस लेख के माध्यम से दैनिक जागरण के ब्लॉग के माध्यम से मेरी प्रार्थना है आइये सशक्त भारत के लिए एकजुट होकर सोच समझकर मतदान करे .
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