ओपन हार्ट
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हर उद्भव विकास के क्रम में
शांत सहज मानवता श्रम में
प्रचुर प्रबल सरिता प्रवाह में
दुःख के दुष्कर दैन्य राह में
मेरे प्रभु तुमको ही पाया
शांति गीत तब मैंने गाया
……………..
प्रेम पूर्ण ममता कोमल में
प्रति पल बहते शीतल जल में
अभिवादन के प्रमुदित स्वर में
श्रेष्ठ जनों के मौखिक वर में
किसने म्रदु संगीत सुनाया
मेरे प्रभु तुमको ही पाया
शांति गीत तब मैंने गाया
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कोलाहल की कर्कशता में
छंद गान के सम स्वरता में
प्रलय प्रकृति के चरम बिंदु पर
एक चक्षु से दिखे सिन्धु पर
कोई आश्वासन बन आया
मेरे प्रभु तुमको ही पाया
शांति गीत तब मैंने गाया
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