Menu
blogid : 6683 postid : 645

”उफ़ ये लड़कियां”जीने नहीं देतीं

ओपन हार्ट
ओपन हार्ट
  • 87 Posts
  • 260 Comments

ladkiyon ki adayen

उफ़ ये लड़कियां और उनकी दिलकश अदाएं जीने है देती हैं इत्मिनान से,कभी बेवक्त लटों को झटक देना कभी निगाहों से सब्र का इम्तिहान लेना और कभी जुल्फें बिखेर कर मदहोश कर देना.अब आप ही बताइए सादगी  भी इन की क़यामत ढाती है तो नखरे जान ले ही लेंगे,.हर बार अपने सब्र को मजबूर होते देखा,अपने से किये हजारों वादे अपनी मंजिल तक नहीं पहुँचते तो इन बालाओं की वजह से.

तो लिख ही डाला मैंने….

.”बेशक हदों की चाहतें मुझको रही सदा
चाहत में उनकी आज मैं हद से गुज़र गया
अब तक वफ़ा थी होश से जब से हूँ होश में
तुझसे वफ़ा निभाई तो सबको दगा दिया ”

तो जनाब हो गए हम नेक बन्दे और पा लिया हमने वो सब जिसका ख्वाब बचपन से था,वो बड़ी-बड़ी बातें वो ऊँची इमारते वो हवाई जहाज की किनारे वाली खिड़की और ज़मीं पर हवाई चप्पलें पहने घूमने लगे.
लड़कियों के ख्याल की बात ज़हन में आते ही दिल में गुदगुदी सी उठती है और भाईसाहब आप मानिये न मानिये वो रूहानी ख़ुशी मिलती है कि मैं बयां नहीं कर सकता.कल ही मोहल्ले के किनारे वाली लड़की ने पलट के देखा तो दिल के तार सात बार सरगम पड़ गए.
ladkiyan

कालेज का वो पहला दिन और गेट पर घुसते ही वो इतर कि खुसबू आई कि लगा जैसे कन्नौज में खड़े हो,वो बला बगल से स्माइल पास करके निकली तो यकीन मानिये कई दिन नहाना नहीं पड़ा.अब क्लास में बैठे तो पाइथागोरस की इक्वेसन लड़कियों का त्रिकोण दिखाई पड़ रहा था तो पढाई गई पानी में और मन के बुलबुले में आगे बैठी रिया नहाते हुए नज़र आई..मै कालेज रोज गया पर पास नहीं हुआ, तो जहाँ पास न होने का गम था वहीँ फिर से नए बैच में नयी प्रमेय सुलझाने का मन.
अब आप बताइए आज जो मै फुटपाथ पर खड़ा हूँ किसकी खातिर,वो बिजलियाँ गिराती रहीं और हम जलते जलते खाक हो गए तभी अब तो दिल से हूक उठती है
”उफ़ ये लड़कियां”…………..ईद मुबारक

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply