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दिन रैन तुम्हारी याद पिया ,भीगा सावन भीगी अखियाँ…..

ओपन हार्ट
ओपन हार्ट
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komal

ज्यों बूँद गिरी पुरवाई चली
घनघोर घटा बदरी बदली
रुनझुन रिमझिम बोले ले सुन
कहती पिय आवन जैसी धुन
मध्यम मद्धिम तेरी आहट
नयना ताके दिनभर चौखट
उन्मुक्त बयार कहे गुपचुप
……………………………
कोई तो उनसे ये कह दे
बीती बातों को रहने दे
अनबन आगे पीछे होगी
मेरा मन मस्त हुआ जोगी
सन्देश विदेश कहें किससे
जब नैन रहे तरसे बरसे
पिक नाच उठी कोयल बोली
दिन रैन तुम्हारी याद पिया
भीगा सावन भीगी अखियाँ
……………………………

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