ओपन हार्ट
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परमेश्वरि जगजननि अब मेरा आर्तनाद सुन
हरण कर सकल विघ्न तम हर हर हर अवगुण
घन घन घन घंटा विशाल गर्जन कर सिन्घारुण
जिव्ह्या रक्त रंजित कम्पित सब चेतन जड़
मुक्तामयि माला आभूषित प्रमुदित तन पर
माता ममतामयि जगदम्बा प्रेम दृष्टि कर
शक्ति संचालन कर तन मन दुर्बलता हर दे
विकसित हो ज्ञान यश गौरव ऐसा वर दे
दीपित हो अन्तः दीपक गान तंत्री वीणा पर
जगदीश्वरि स्नेहिल दृष्टि से पुत्र पर ध्यान धर
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