ओपन हार्ट
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आम आदमी बहुत सताया
जगह जगह है उसे दबाया
थाने में इंस्पेक्टर नोचे
बस पैसा लेने की सोचे
जितना चाहा उसे रुलाया
आम आदमी बहुत सताया
……….
दफ्तर दफ्तर बाबू बैठे
खून चूस कर पैसा ऐंठे
बात बात में आँख दिखाए
केवल पैसे पर मुस्काए
जितना चाह उसे झुकाया
आम आदमी बहुत सताया
……….
सब्जी राशन सब है महंगा
कैसे लाये चूढी लहंगा
ईंधन के ऊँचें दामों ने
छोटे छोटे से कामों ने
खाने पीने को तरसाया
आम आदमी बहुत सताया
……….
उसको ही अब लड़ना होगा
मिल जुल आंगे बदना होगा
निज अधिकारों को पाना है
भ्रष्ट्र तंत्र को समझाना है
नहीं किसी ने गले लगाया
आम आदमी बहुत सताया
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