ओपन हार्ट
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बहुत दिनों से कहना चाहूं
बात जुबां पर कह ना पाऊँ
मुझको देखो क्या लगता है
ये उपकार करोगी
क्या मुझसे प्यार करोगी?
…………..
तुम वर्षा ऋतू की रातों सी
बेमतलब मीठी बातों सी
जो सपनो में आ करती हो,
दिन में एक बार करोगी
क्या मुझसे प्यार करोगी?
…………..
बस हँस देने से क्या होगा
ना हाँ होगा ना-ना होगा
मैं अतिथि तुम्हारी मन चौखट का
कब सत्कार करोगी
क्या मुझसे प्यार करोगी?
…………..
तुम पूनम जैसी खिलती हो
दीपक के लौ सी जलती हो
इस प्रेमिल मन के अंधियारे को
कब स्वीकार करोगी
क्या मुझसे प्यार करोगी
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