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क्या कुछ रंग की बेसुध बूँदें, जा पहुंची भूखे की झोली

ओपन हार्ट
ओपन हार्ट
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gareeb ma

रंग बिरंगी सतरंग होली
गांव शहर में नाची टोली
क्या कुछ रंग की बेसुध बूँदें
जा पहुंची भूखे की झोली
………….
हर दिन जिन बच्चों का जीवन
सूख रहा बचपन का मधुवन
पूंछ रहे जब माँ से रोकर
क्यों हर उत्सव पर है ठोकर
कब ये रंग मुझपर आयेंगे
मेरे पतझड़ कब जायेंगे
भीख मांगती माँ ना बोली
बस केवल दो बूँदें रो ली
फिर भी हम लोंगों ने मिलकर
क्यों ना अपनी आँखें खोली?

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