ओपन हार्ट
- 87 Posts
- 260 Comments
नारी असहाय अबला बेचारी
रुग्ण शोषित समाज की मारी
अनगिनत कामुक दृष्टि से
देख रहे दुष्ट दम्भी दुराचारी
…………..
सदियों से छाया पुरुष प्रधान समाज
करता रहा निर्द्वन्द एक छत्र राज
कुछ पहले देवदासी बनाकर भोगा
अब”लिव इन रिलेसनसिप”की बारी
नारी असहाय अबला बेचारी
……………
धार्मिक मान्यताओं से जकड़ा गया उसे
रीत रिवाजों से पकड़ा गया उसे
सुबह से शाम सारी ज़िम्मेदारी ढोती
कभी नहीं सोचा कितनी थकी कितनी हारी
नारी असहाय अबला बेचारी
…………
करवाचौथ, तीजा सिर्फ उसके लिये
चरित्र हीन पुरुष चाहे जैसे जिये
विवाहित हो तो माथे पर सिन्दूर की निशानी
ताकि जान सके लोग नहीं है कुंवारी
नारी असहाय अबला बेचारी
…………
Read Comments