ओपन हार्ट
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इस कड़ाके की सर्दी में
हल्की मटमैली खाकी वर्दी में
अपना ईमान बाएं हाथ पर लिए
दाहिने में रिशवत की बाजू सिये
बेपरवाही से ट्रकों को रोकते
चोरों को कम सरीफों को ज्यादा टोकते
किसी मुफ्त के होटल में कहीं
शायद तुम पुलिस वाले तो नहीं
…………..
वर्दी के साथ पहनी बेईमानी
अफसरों तक नहीं पहुँचने देते सच्ची कहानी
धत्त कमीने के साथ कुछ ना कहने वाली गालियाँ
अँधेरे में कभी चोर तो कभी पहरेदार की तालियाँ
दूसरों को उजाड़ कर करते अपना चमन
कभी नहीं कहते किसी की सही
शायद तुम पुलिस वाले तो नहीं
…………..
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