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दीपावली शोभाभरी,जगमग सजग आभाभरी

ओपन हार्ट
ओपन हार्ट
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diwali 2

दीपावली शोभाभरी
जगमग सजग आभाभरी
……..
रघुनाथ का गृह आगमन 
दानव दनुज का कर शमन
हुलसित गगन आनन्द ध्वनि
सुरभित प्रकृति पुलकित अवनि
हो दमन दुष्ट निशाचरी
दीपावली शोभाभरी
जगमग सजग आभाभरी
……..
ज्योतित जगत दीपक प्रगट
आनन्द घोष विषद विकट
घनघोर तम पर ज्योति कर
संकट हरण सब विघ्न हर
आश्वस्त निकट विभावरी
दीपावली शोभाभरी
जगमग सजग आभाभरी
……..
गणपति गजानन पूज कर
माँ लक्ष्मी उल्लूक पर
धन धन्य का वरदान दें
अविरत बृहत उत्थान दें
है नमन मातु प्रभाकरी
दीपावली शोभाभरी
जगमग सजग आभाभरी
……..
प्रकाश पर्व पुनीत है
सर्वत्र मंगल गीत है
मिष्ठान के मधु भाव में
हो तिक्त नष्ट प्रभाव में
नभ चंद्र शून्य दिवाकरी
दीपावली शोभाभरी
जगमग सजग आभाभरी
……..
हुलसित-(उल्लास पूर्ण )….अवनि-(पृथ्वी)….विभावरी -(रात्रि का अंतिम प्रहर )….अविरत-(बिना रुकावट)….तिक्त- (खट्टा,तीखा)

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