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वो मर रहा था भूख से, मैं देखता रहा.!

ओपन हार्ट
ओपन हार्ट
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India starvation

सब लोग जा रहे थे किसी ने ना कुछ कहा

वो मर रहा था भूख से, मैं देखता रहा.!

…..

मौज़ूद था, फटे हुए लिबास का कफ़न

पथरा गई थी आँख, सुलगता हुआ बदन

लोगों की भीड़ जा रही थी देखते हुए

देखा, – मगर घुमा ली नज़र, ना रुके वहां

वो मर रहा था भूख से, मैं देखता रहा.!

…..

 

मन्दिर का मोड़ था वहां,मस्ज़िद भी पास थी

लाचार  उस गरीब को रोटी की आस थी

हर बार उसने चीख कर आवाज़ दी मगर

तड़पा,- तड़प के मर गया, मौज़ूद था जहाँ

वो मर रहा था भूख से, मैं देखता रहा.!

…..

इंसानियत किधर गई ,किधर गया ज़मीर..

‘नेकी के राह पर चलो’- यही थी वो नज़ीर.?

सदियों के फासले पे आदमी वहीं खड़ा

दुनियां का सारा रंज़ उस गरीब ने सहा

वो मर रहा था भूख से, मैं देखता रहा.!

…..

कब तक मरेंगे लोग भुखमरी की मौत से..

इंसान ज़िंदगी जियेगा झूठे रौब से.?

हैवानियत सवार है अब भी जहां तहां

फिर भूख से मरा है कोई आदमी वहां

वो मर रहा था भूख से, मैं देखता रहा.!

…..

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