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मैं गरीबों का भूखा पेट, नंगी चीत्कार हूँ..

ओपन हार्ट
ओपन हार्ट
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11-another-sunset

मुझे भी छापिए मैं युवा बेरोजगार हूँ

कवि हूँ लोगों की नज़र में बेकार हूँ

निर्धन ही सही कुछ मेरी भी पहचान है

क्या आप की नज़र में पुराना अखबार हूँ?

………

पूछते हैं लोग कवि हो और क्या करते हो

क्या कविता खाकर ही अपना पेट भरते हो

आप बताएँ क्या कवि होना इतना आसान है

मैं गरीबों का भूखा पेट, नंगी चीत्कार हूँ

क्या आप की नज़र में पुराना अखबार हूँ?

………

स्वतंत्रता की रोटी का मेरा हिस्सा किधर है

करोंड़ों के पैकेज में मेरा किस्सा किधर है

मैं नंगे पैर ही सही आसमान पर उड़ सकता हूँ

मैं विचारों का धन और कविता का व्यापार हूँ

क्या आप की नज़र में पुराना अखबार हूँ?

………

नहीं पास मेरे संपादकों जैसी महंगी एसी कार

 पैदल बेच रहा हूँ अनमोल कविता हर बाज़ार

क्यों मुझे प्रकाशन भवन में घुसने की नही इज़ाजत

मैं भूखी बेरोज़गारी का नवीनतम समाचार हूँ

क्या आप की नज़र में पुराना अखबार हूँ?

………

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