ओपन हार्ट
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अस्मत खोकर भी मुस्काया
भूखे तन को भी बिचवाया
दिन में उजले रातों काले
लोगों से वेश्या कहलाया
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अपने स्वप्नों की बलि देकर
सारे सम्बन्धों को तज कर
फिर अपने को भी समझाया
लोगों से वेश्या कहलाया
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यौवन को झोली में रखकर
बेचा बाजारों में अक्सर
क्योंकर उसने ये अपनाया
लोगों से वेश्या कहलाया
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अक्सर चौराहों पर जाकर
केवल दो रोटी की खातिर
अपनी इज्ज़त को लुटवाया
लोगों से वेश्या कहलाया
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इज्ज़तदारों ने छुप छुपकर
उन्मादित हो मदिरा पी कर
बाला को वेश्या बनवाया
लोगों से वेश्या कहलाया
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अपने हाथों को भी धो लो
आँखें हो तो, आँखें खोलो
सबने मिलकर था नचवाया
लोगों से वेश्या कहलाया
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मज़बूरी में बेचे सपने
देहरी छूटी, छूटे अपने
हमने कोठे पर बिठलाया
लोगों से वेश्या कहलाया
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