ओपन हार्ट
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मेरी कविता मेरी निजता
नव युग की नित नव नूतनता
शाश्वत लय में नव नर्तन कर
नव शिशु की मोहक निश्छलता
मेरी कविता मेरी निजता
……
नव छंद-बद्ध, नव शब्द-पद्य
प्रति-पल सर्जन को वचन बद्ध
स्पंदित-कम्पित-आंदोलित
नव-प्रणय मिलन की आकुलता
मेरी कविता मेरी निजता
……
सुष्मित-कुसुमित-सुरभित हर क्षण
चुम्बित करती सब चेतन-जड़
नव बंदन को अभिनंदन कर
विस्तृत नभ जैसी व्यापकता
मेरी कविता मेरी निजता
……
अनुपम-अदभुत दीपित-शोभित
हर्षित हुम्फित ह्यद-हिल्लोलित
कल-कल निर्मल-जल सी उज्ज्वल
विरही मन की चिर व्याकुलता
मेरी कविता मेरी निजता…
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