ओपन हार्ट
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बरसात हुई
जब रात हुई
तब याद तुम्हारी आती है
क्योंकर मुझको तड़पाती है ?
……..
जब साँझ ढले
पुरवाई चले
मद मस्त पवन
की मौन कहन
जब प्यार का राग सुनाती है
तब याद तुम्हारी आती है
क्योंकर मुझको तड़पाती है?
………
इस सावन में
मन भावन में
नीरव वन में
पंचम स्वर में
जब कोयल कुछ भी
गाती है
तब याद तुम्हारी आती है
क्योंकर मुझको तड़पाती है?
……..
प्रेम छन्द पर
झूम झूम कर
तन्मय होकर
सुध बुध खोकर
मोर नाचती जाती है
तब याद तुम्हारी आती है
क्योंकर मुझको तड़पाती है ?
……….
उन्मुक्त गीत
प्रिय की प्रतीत
कवि की क्षमता
विरही कविता
जब घूम घूम कर आती है
तब याद तुम्हारी आती है
क्योंकर मुझको तड़पाती है?
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