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तभी गीत बनता है

ओपन हार्ट
ओपन हार्ट
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शब्द सजग हो
अर्थ पृथक हो
छंद मधुर हो
भाव प्रचुर हो
तभी गीत बनता है.
शान्त चित्त हो
अहं रिक्त हो
ह्रदय मुक्त हो
प्राण युक्त हो
तभी गीत बनता है.
तीव्र राग हो
प्रबल आग हो
अमर क्रांति हो
शान्त भ्रांति हो
तभी गीत बनता है.
लय समान हो
उच्च गान हो
सहज ज्ञान हो
समाधान हो.
तभी गीत बनता है
द्वेष रहित हो
प्रेम सहित हो
तत्व निहित हो
सार विदित हो.
तभी गीत बनता है
काव्य गेय हो
पूर्ण ध्येय हो
सद् विचार हो
निराकार हो
तभी गीत बनता है.

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