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वन्दे-मातरम

ओपन हार्ट
ओपन हार्ट
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Deepak Dwivedi
जोश हो उमंग हो, ह्रदय में नव तरंग हो.
प्रचंडता की शान हो, नवीनता का भान हो.
थमे कदम जो चल पड़े, प्रचंडता से जो लड़े.
तो कौन रोक पायेगा, अड़ेगा – टूट जाएगा.
न रिश्वतों का दौर हो, किसी के सर न मौर हो.
समानता का गीत हो, अखंडता प्रतीत हो.
उठो अभी से चल पड़ो, विरोधियों से लड़ पड़ो.
ये कैसा हाहा कार है, ये राष्ट्र की पुकार है.
एक राष्ट्र, एक नाद, एक गीत, एक वाद
वन्दे मातरम, वन्दे मातरम!
वन्दे मातरम, वन्दे मातरम!

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